हर एक कपडे का तुकडा माँ का आँचल हो नही सकता माँ की जो ममता है वो कही खो नही सकता । जो मेरे जिस्म से आती हे खूशबू वो माँ कि है मेरी चाहे कोई भी कीतना वो दूर हो नही सकता । ये जो दिल मे है मेरे वो आज बया करती हु माँ से प्यार करती हु माँ पे ही मै मरती हु उठे हाथ कभी मेरा ईबादत के वास्ते मांगु तुझसे वर मे इतना जो मेरे रब दे ना हो कोई सुबह ना कोई भी शाम हो जीसपे लीखा ना मेरे माँ का नाम हो । Written by Pratima Suresh Mahto mahtopratima9054r@gmail.com Posted by Om TRIPATHI
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