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अक्टूबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

माँ

  हर एक कपडे का तुकडा माँ का आँचल हो नही सकता  माँ की जो ममता है वो कही खो नही सकता । जो मेरे जिस्म से आती हे खूशबू वो माँ कि है मेरी  चाहे कोई भी कीतना वो दूर हो नही सकता ।        ये जो दिल मे है मेरे वो आज बया करती हु         माँ से प्यार करती हु माँ पे ही मै मरती हु  उठे हाथ कभी मेरा ईबादत के वास्ते मांगु तुझसे वर मे इतना जो मेरे रब दे  ना हो कोई सुबह ना कोई भी शाम हो  जीसपे लीखा ना मेरे माँ का नाम हो । Written by Pratima Suresh Mahto mahtopratima9054r@gmail.com Posted by Om TRIPATHI

वो पहाड़ों की हरियाली

   वो पहाड़ों की हरियाली  वो खेतों की हरियाली,  अब देखने को नहीं मिलती।। कभी आबाद हुआ करते थे गांव वहां,  मगर अब उन गांवों की आबादी देखने को नहीं मिलती।  वो लोगों का साथ- साथ उठना- बैठना,  साथ में कभी-कभी लड़ना- झगड़ना।  मगर कुछ दिनों बाद फिर एक हो जाना न जाने कहां खो गया है,  वो लोगों की हंसी अब देखने को नहीं मिलती।।  बच्चों का स्कूल जाना और घर आने के बाद उछलना कूदना,  बातों बातों पर हंसना वो रोना आज एक सपना सा लगता है।  क्योंकि सब चले गए पहाड़ को छोड़कर  जहां पे कभी लोगों में प्यार वो अपनापन दिखाई देता था।  वो प्यार वो अपनापन अब लोगों में देखने को नहीं मिलता।। Written by Deepanshu Pandey Palyoun, Almora Uttrakhand Posted by Om Tripathi  

फूल सी बेटी

 फूल सी बेटी को मां बाप  सौंप देते अनजाने हाथ में  अपना मान कर चल देती है  बेटी भी जिनके साथ में  अपना तन-मन-धन लगाकर    घर वालों को अपना बनाती अपना कहकर बेगाना मानते  फिर भी वह पराई कहलाती  मां बाप ने कोई बात ना सिखाई  बेअकल है उठ कर आई  चली जा तू अपने घर को  मैंने तो आफत है लाई  सौ सौ ताने सुनकर भी वह  पति को अपना देवता माने  हद तो तब होती है जब वह  उसके दुख को ना पहचाने  पति-पत्नी तो गाड़ी के ही   दो पहिए हैं माने जाते   पति पत्नी को नीचे दिखाएं तो    पत्नी किसको दुख बतलाए  अंदर अंदर घुटती रहे वो   अपना दुख ना किसी को बताए    पति ही गर ना समझ पाए तो    जीवन साथी क्यों कहलाए Written by - Anita Mishra Haryana, Hoshiyarpur Punjab Posted by - Om Tripathi

वक़्त

  वक़्त भी क्या चीज़ है जो सबकी औकात दिखा जाता है किसी को अपना तो किसी को बेगाना बना जाता है वक़्त के साथ बदल जाते हैं चेहरे हर चेहरा नया सबक सिखा जाता है जिसे मानते है हम अपना वही अपना रंग दिखा जाता है  वक़्त के फेर जब भी चलते है  अपने पराए की पहचान करा जाते है कुछ अपनों के मुखौटे उतर जाते है और कभी पराए भी फ़रिश्ते बन जाते हैं Written by - Anita Mishra      Haryana  Hosiyaarpur Punjab Posted by - Om Tripathi

भारत की बिटीया

   मैं भारत की बेटी हूं,  जो अपने दम पर जीती है  अपने नए कारनामों से सब को गौरवान्वित करती है चाहे हो वो खेल कूद यां हो जंग का कोई मैदान नहीं डरती है किसी से भी हमेशा जीत का करती ऐलान झांसी की रानी वीरांगना जिसने अंग्रेजो को था खदेड़ दिया इंदिरा , प्रतिभा ने राज़ संभाल कर देश को था हैरान किया जो कहते थे लड़की है ये नहीं कुछ कर सकती है चूल्हा चौंका करना है बस क्यूं स्कूल में पढ़ती है आज करते झुक कर सलाम गुजरती हूं जिधर से भी सब की बेटियां हो ऐसी ही कहते हैं आपस में वही चूल्हा चौंका हो या हो फिर ऑफिस का कोई भी काम कोई फील्ड हो चाहे देश हो लेती हूं सब संभाल कमान  पूरे संसार में सबसे आगे हम भारत की बेटियां तभी तो हम सब देते नारा पढ़ें -बढ़ें भारत की बेटियां।  Written by Anita Mishra Haryana, Hoshiyarpur Punjab Posted by Om Tripathi

नारी

 पूजते हो कभी मुझे तुम, देवी मां के रूप में। कभी मांगते आशीष मुझसे, अपनी मां के रूप में। बहुत प्यारी लगती हूं, जब भैय्या भैय्या बुलाती हूं। फूले नहीं समाते हो तब, जब पत्नी रूप में आती हूं। अपने सारे रिश्तों को तुम, बहुत प्यार से निभाते हो। फिर दूसरों की बेटियों पर, बूरी नज़र क्यूं जमाते हो? देखकर दूसरों की बेटी, हो जाता है तुमको क्या? जाग जाता शैतान तुम्हारा, मर जाती इंसानियत भी क्या? औरत है तो क्या उसे, जीने का कोई हक ही नहीं? वो भी इंसान है, दिल बहलाने की वस्तु तो नहीं। जानवर से भी बत्तर जब, तुम उसको नोचते हो। इंसानियत भी चीख उठे, ऐसी हैवानियत करते हो। उसकी तड़प और चिखो से, क्या रूह तुम्हारी कांपती नहीं? उस बिटिया के रूप में तुम्हे, अपनी मां बेटी नज़र आती ही नहीं? राक्षस भी हो जाए शर्मिंदा, खुदा की तो बात ही क्या। इंसानियत के नाम पर हो धब्बा, तुम जैसों की जात ही क्या। Written by Anita Mishra Hariana,      hosiyarpur,  Punjab Posted by Om Tripathi