Hamari kavita सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मई, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Dadi Maa

दादी मांँ दादी रोज सवेरे उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि करके भगवान की पूजा करती और समय पर रसोई में आकर अपने पसंद का नाश्ता बनवाती है दादी के घर में सब संस्कारी है। दादी ने सबको संस्कारी बनाया घर में आए हुए थेअतिथि का पूरा आदर् सत्कार हो तथा बच्चे बड़े बूढ़े सब का सम्मान हो। दादी अपना कोई काम अगर किसी पड़ोस में भी कह दे तो कोई मना नहीं करता ।बच्चे बूढ़े गली गुवाड़ सब दादी का कहना मानते हैं। दादी छोटी उम्र में ही विधवा हो गई। उस जमाने में विधवा होने का मतलब अभिशाप था दादी कहीं बाहर नहीं निकलती और छायली कपड़े पहनकर रहती। दादी काम में बहुत चतुर रसोई बनाने से लेकर कशीदा काश्तकारी सभी में परफेक्ट थी घर में शादी विवाह या पड़ोस में शादी ब्याह होता तो सब का कार्य करके घर बैठे मुफ्त में कर देती। किसी के आगे अपने स्वाभिमान को नहीं गिराया अनपढ़ थी फिर भी सब कुछ कार्य करने में उत्साहित रही और कार्य करते-करते अपनी जिंदगी को व्यस्त रखना चाहती थी। दादी का एक बेटा और एक बेटी थी बेटी की शादी करके ससुराल भेज दिया और बेटे के भी छोटी उम्र में शादी कर दी। ताकि दादी का अकेलापन कम हो जाए। दादी ...