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फ़रवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Sanatani hukaaar

_ सनातनी हुँकार सिंह सी दहाड़ कर  रण में आज पुकार कर  बढ़ चला मैं आज फिर  धर्म की पुकार पर  श्री राम ही आधार हैं  हिंदुत्व का अभिमान है  बढ़ गए हैं अब तो हम  हिंदू राष्ट्र की हुंकार है  तू अधर्म का विरोध कर  गीता का ही तो ज्ञान है  मैं खड़ा हूं तेरे साथ  तुझे क्यों नहीं अभिमान है  तेरे नाम से ही मान है  क्योंकि इस जग में आप ही महान है  जो कष्टों को है हरते सबके  वही तो करुणानिधि राम है  अब परीक्षा नहीं लीजिए  एक संकेत ही तो दीजिए  कृपा रही आपकी तो  अधर्म भी मिटेगा और धर्म भी टिकेगा आपके मान की है बात तो  हमारी जान से भी बढ़के है  गर्व है हमारा यह  कि आपके ही तो पुत्र हैं  बात हुई जो आपपे  तो शास्त्र नहीं शस्त्र हम उठाएंगे  यदि रण में जो उतर गए  अतः लहू हम बहाएंगे  बढ़ रहा अधर्म यहां तो  आपकी कृपा से धर्म हम बचाएंगे  जीवन की अंतिम सांस तक  हम जय श्री राम गाएंगे  यह धर्म ही है सबसे बढ़के  इसी के सब कल्पित महान है  काम ...

Paritripti

_ परितृप्ति आदमी महसूस करने लगा कि--- भूख,असहज होने का नाटकीय भाव है इसलिए जिंदा आदमी नाटकीय अभिक्रिया करता है  भूख से कोई नही मरता है  नही मरने वाला आदमी नर्क-द्वार की चौकीदारी करता है ! 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Vikrant Kumar  EDUCATION : ADDRESS :Begusaray Bihar  Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं। Social Media Manager Shourya Paroha अगर आप अपनी कविता प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो आप व्हाट्सएप नंबर 7771803918 पर संपर्क करें।

Dukh Ka Dard

_दुख का र्दद दिन हमने भी खूब दुख भरे देखें हैं। भूखी माँ को बच्चों का पेट भरते देखें हैं।। भगवान उसे हर रोज़ सताते थे फिर भी  मां को उनको हर सुबह पूजते देखें हैं।। टूटी झोपड़ी और बारिश का मौसम थी। छाते पकड़ कर मां झोपड़ी में रहती थी।। छाते के निचे बच्चों को सोलाते देखें हैं। हां मैंने मां को रात भर भीगते जागते देखें हैं।। मज़बूर हो के मां को तीन साल के बच्चें के साथ, पटरी पे सोते देखें हैं।। मंजर इतना भयानक की, मां कि मुस्कान के पीछे आंसुओ का सुनामी देखें हैं। जीना दुश्वार हुआ इतना की, आंखों कि आसूं को सूखते हमनें देखें हैं।। साथ कोई नहीं था, तीन साल के बच्चें को मां की हिम्मत बनते देखें हैं। किस से बदला लें,हमनें अपनो को अपनो से लड़ते देखें हैं। सयुक्त परिवार को हमनें टुकड़ों में बटतें भिखरते देखें हैं ।। अपनो को अपनो के साथ दुश्मन सा वार्तब करते देखें हैं। एक ही घर में सब के साथ होते हुऐ भी हमने कोसों की दूरी  देखें हैं।। हा हमनें भी खूब दुःख भरे दिन देखें हैं।। नाम   : देव कुमार पिता का नाम  : अनिल पासवान माता का नाम : प्रमिला देवी  जन्म भूमि  : म...