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शेर भी जानता था

 _ शेर भी जानता था शाम का वक्त था। श्याम जैसे ही दफ्तर से लौटकर घर आया, पूरे घर में रौनक सी फैल गई। बच्चे, बूढ़े, औरतें – सब उसके पास आकर दिनभर की बातें साझा करने लगे। हर दिन की तरह आज भी सबसे अंत में उसका वफादार कुत्ता “शेर” आया। वह चुपचाप श्याम को देखता, सर झुकाकर अपनी खुशी जाहिर करता और फिर पास में बैठ जाता। धीरे-धीरे श्याम की जिंदगी एक ढर्रे पर चलने लगी थी। श्याम की पत्नी विमला, तेज-तर्रार और साफ बोलने वाली महिला थी। अक्सर वह आंगन में खड़ी होकर पड़ोसियों से बातें करती और बीच-बीच में श्याम को ताना भी मारती, "श्याम! आकर खाना क्यों नहीं खा लेते? मैं बाकी औरतों की तरह नहीं हूं जो बार-बार खाना गरम करके दूं।" लेकिन श्याम जानता था कि विमला जैसी दिखती है, वैसी नहीं है। उसके दिल में प्यार भी था, बस तरीका कड़वा था। कुछ दिन पहले विमला के भाई की शादी थी, लेकिन श्याम आर्थिक तंगी के कारण विमला को नए कपड़े नहीं दिला सका था। यही बात विमला के गुस्से की वजह बन गई थी। श्याम पूरे घर का एकमात्र कमाने वाला था। उसकी तनख्वाह से ही सब चलता था। वह दिन-रात मेहनत करता ताकि अपने परिवार की जरूरतें पूर...