मन की वृत्ति अशांत है - - मन की वृत्ति अशांत है, विचारो की हिम् चहलाहट है। आल्हादिनी की ध्व ध्वरे, हृदय पराजित जो थे मेरे। जीवन पराकलम्बी हो गया, मन मृत आवेग में खो गया। वही जीवन महान है, जिसका मन प्रशांत है। - Poet "दीनानाथ सागर" EDUCATION : ADDRESS :
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